15 Health tips for daily routine life





लंबी उम्र और स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल, जिसके लिए आपको अपना पूरा दिन और हर दिन इन चीज़ों का ख्याल रखना होगा।
हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की अद्भुत शक्ति होती है। रोगों से लड़ने में हमें शरीर का साथ देना चाहिये वर्ना शरीर जरूर बीमार हो जायेगा । शरीर का साथ देने के लिए हमे किसी महंगी दवा खाने की जरुरत नहीं है। जरुरी सिर्फ ये है की शरीर की प्रकृति को समझकर जो शरीर को चाहिए वो ही उसे दें

1.  सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीना

सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीने से बॉडी डिटॉक्स होती है, डाइजेशन अच्छा होता  है, मेटाबॉलिज़म ठीक होता है जिससे मोटापा नहीं बढ़ता।

2.  एक्सरसाइज करना

एक्सरसाइज करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। मसल्स टाइट होती है। एक्स्ट्रा 
फैट और कैलोरी बर्न होती है। बॉडी फिट रहती है।

3. नाश्ता करना

सुबह उठने के आधे घंटे के भीतर नाश्ता करने से दिन की हेल्दी शुरुआत होती है। लंच में 
ज्यादा कैलोरी इनटेक नहीं होता।

3.  डाइट में प्रोटीन और अनाज लेना

डाइट में प्रोटीन और अनाज लेने से पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है। बार-बार भूख नहीं लगती। डाइजेशन और मेटाबॉलिज़म अच्छा होता है।

5 मीठा कम खाना
शक़्कर में फ्रक्टोज होता है जो फैट बढ़ाता है। मीठा कम खाने से बॉडी में फैट नहीं बढ़ पाता।

6 फल, सब्जियां ज्यादा खाना
फल, सब्जियां ज्यादा खाने से पेट की सफाई होती है। कैलोरी इनटेक कम होता है। डाइजेशन अच्छा होता है।

7 लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग

लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग करना चाहिए ऐसी छोटी-छोटी कवायद से कैलोरी बर्न होती है और शरीर में फैट जमा नहीं हो पाता।
8 दिन भर में 6-8 गिलास पानी पीना
दिन भर में 6-8 गिलास पानी पीने से बॉडी के टॉक्सिन्स निकलते रहते है। पेट भरा रहता है। कैलोरी इनटेक कम होता है।
9 चबा-चबाकर खाना
 हर कौर को कम से कम 30 सेकण्ड्स तक चबाना चाहिए। इससे खाना अच्छे से पचता है और शरीर में फैट जमा नहीं हो पाता।

10. रोज 6-8 घंटे की नींद लेना

न इससे ज्यादा और न कम सोना। इससे भूख कंट्रोल में रहती है हाई कैलोरी फ़ूड खाने की इच्छा नहीं होती।

आयुर्वेद के अनुसार 5 स्वास्थ्य Tips 


1. खाने में संतुलन अपनाये  :

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपका खाना या भोजन प्रमुख भूमिका निभाता है. अगर आपका खाना अच्छा और पौष्टिक होगा तो वह आपकी सेहत को भी अच्छा बनाएगा वही अगर आप अपने भोजन के प्रति लापरवाही बरतते है या पौष्टिक भोजन नहीं लेते है तो यह आपके स्वास्थ्य को बीमार बना देगा. आपको कौन सी चीज खानी चाहिए तथा किन चीजो से आपको परहेज करना चाहिए यह बात आपको अपने Body के हिसाब से पता होनी चाहिए आयुर्वेद में भी कहा गया है कि आप अपनी प्रकृति (Nature) के हिसाब से ही आहार  ले. यानि की  अगर आप में पित्त प्रकृति की मात्रा बहुत अधिक है तो आप पीली वस्तुओ  जैसे कि ज्यादा तेल, हल्दी और इसी तरह की पीली चीजो से परहेज करे. इसलिए अपने    प्रतिदिन के भोजन में विटामिन्स (Vitamins), प्रोटीन्स (Protins), वसा (Fat),  कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स (Minerls) आदि सभी चीजो को संतुलित मात्रा में अपने आहार में शामिल करे.

2. अपनी दिनचर्या को रखे संतुलित (Keep your routine balanced):

हमारी दिनचर्या का जितना प्रभाव हमारी सफलता पर होता है उतना ही असर इसका हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. अगर आपकी दिनचर्या बहुत संतुलित होगी तो आपका स्वास्थ्य भी उतना ही अच्छा रहेगा. जब हमारी दिनचर्या रोजाना एक ही होती है तो इससे हमारे Mind को हमारे शरीर को समझने में बड़ी आसानी होती है और वह हर काम को करने का आदी बन जाता है.

सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक, हमारी दिनचर्या यानि दिन भर का शेड्यूल क्या हो, यह हमारी सेहत के लिए जानना बहुत जरुरी है. मान ले आप रोज सुबह 6 बजे उठते है तो हल्का व्यायाम या मोर्निंग वाक (Morning Walk) करने के बाद नहा ले. फिर अपने रोजाना के समय पर नाश्ता करे और नाश्ता करने के बाद 15 मिनट आराम करे. उसके बाद फिर आपको अपने काम में लग जाना चाहिए.

दोपहर 2 बजे तक लंच कर ले. दोपहर का भोजन करने के बाद 15 मिनट तक चुपचाप बैठकर आराम करना हेल्थ के लिए अच्छा रहता है. शाम के 5 बजे भूख लगने पर थोड़ा सा नाश्ता लेने में कोई दिक्कत नहीं है. घर आने के बाद आधे घंटे एकांत में आराम करना और रात को 9 बजे तक रात का भोजन ले लेना चाहिए.

फिर भोजन के 1 या 2 घंटे के बाद ही सोना चाहिए. भोजन के बाद आधे घंटे तक टहलना भी काफी अच्छा होता है. ऐसा करने से भोजन का पाचन बड़ी आसानी से हो जाता है.

3. ऋतुचर्या को न करे नजरअंदाज (Do not overlook the Hritucharya):

ऋतुचर्या का मतलब है ऋतु के मुताबिक हो जाना. प्रकृति का नियम है परिवर्तन, इससे प्रकृति हमें यह सन्देश देती है कि अब हमें भी प्रकृति के हिसाब से खुद को परिवर्तित कर देना चाहिए. जाड़ा, गर्मी और बरसात प्रकृति में जब ऋतु परिवर्तन होता है तब हमें भी खुद में परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए.

जैसे ऋतु के बदल जाने पर प्रकृति में बदलाव दिखाई पड़ता है, उसी तरह हमें अपने खान-पान, रहन-सहन, दिनचर्या और योगासनों में भी बदलाव कर लेना चाहिए. प्रकृति ने हर ऋतु के अनुकूल फल, सब्जी और खाद्य पदार्थ बनाये है. किसी अन्य ऋतु में पैदा होने वाली चीजो को किसी अन्य ऋतु में सेवन नहीं करना चाहिए.
मसलन की कोल्ड स्टोरेज में रखा तरबूज या बेल, बरसात के महीने में सेवन नहीं करना चाहिये तथा ठन्डे के दिनों में हमें ठंडी चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए. यही नियम अन्य चीजो पर भी लागू होता है.

4. योगासन अपनाकर रहे स्वस्थ (Yoga are adopting healthy) :

आज योगा हमारे जीवन में अपना प्रमुख योगदान निभा रहा है. योग करना आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. योग करना इतना अधिक प्रचलित यू ही नहीं हुआ बल्कि योग द्वारा ऐसे Result भी हमारे सामने आये है जिसमे किसी को भी अचरज हो. योग द्वारा कई लोगो ने गंभीर बीमारियों से निकलकर स्वस्थ जीवन पाया है. जा चुका है. इसलिए योग करना हमारे हेल्थ के लिए भी बहुमूल्य है.

हमें ऋतुचर्या के मुताबिक ही योगासन और मुद्राओ का अभ्यास करना चाहिए. पसीना निकलने वाले और गर्मी बढाने वाले आसनों को गर्मी के दिनों में न करे. सेहत के लिए मुद्राओ का अभ्यास भी जरुरी है. मानसिक सेहत के लिए भी कई मुद्राएँ है, जिन्हें रोजाना करना चाहिए. जैसे ज्ञान मुद्रा, यह मुद्रा अंगूठा और तर्जनी को मिलाने से बनती है. इसको रोजाना   करने से याददाश्त बढती है और मानसिक बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है.   इससे   अनिद्रा और चिडचिडापन भी दूर होता है.

इसी तरह और भी कई मुद्राएँ है, जिसे किया जा सकता है. जैसे प्राण मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वायु मुद्रा, ह्रदय मुद्रा, सूर्य मुद्रा आदि. इन्हें आप किसी अच्छे योग गुरु से सीख सकते है. इन मुद्राओ के अभ्यास से कई तरह की शारारिक और मानसिक समस्याओ से छुटकारा मिलता है.

5. पॉजिटिव सोच अपनाये (Think Positive) :

दोस्तों Positive Thinking हमारे जीवन में कितनी बड़ी भूमिका अदा करती है यह आप जरुर जानते होंगे. ज्यादातर तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं नेगेटिव सोच की वजह से पैदा होती है. इसलिए तनाव व डिप्रेसन से लड़ने के लिए हमें अपनी थिंकिंग को सकारात्मक बनाना होगा. आपको अपनी सकारात्मक सोच को बढाने के लिए रोजाना भ्रामरी का अभ्यास करना चाहिए. रोज सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ दे.

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