अर्जुन के वृक्ष कि कुछ खास जानिए इसके आयुर्वेदीय गुण और अर्जुन की छाल के नुकसान

अर्जुन के वृक्ष कि कुछ खास जानिए इसके आयुर्वेदीय गुण और अर्जुन की छाल के नुकसान पहाड़ी क्षेत्रों में नदी के किनारे 18-25 मी तक ऊंचे पंक्तिबद्ध हरे अर्जुन के वृक्ष ऐसे लगते हैं. अर्जुन का वृक्ष जंगलों में पाया जाता है. इस पेड़ का अर्जुन नामकरण केवल स्वच्छ श्वेत वर्ण के आधार पर किया गया है.बाह्या-स्वरुप यह अत्यन्त सूक्ष्म हरित तथा श्वेत वर्ण की आभा से युक्त व पुष्पदंड के चारों ओर लगे होते हैं. इसके फल कमरख जैसे 5 या 7 उठी हुई धारियों से युक्त होते हैं. प्राय: हर क्षेत्र में उगने वाला मोटी छाल लिए , 60 से 80 फीट तक ऊँचा बढ़ने वाला , अर्जुन एक बहुउपयोगी औषधीय वृक्ष है. इसके आभायुक्त सफ़ेद या पीले रंग के फूल सुगन्धित होते हैं.अर्जुन की छाल में कैल्शियम कार्बोनेट लगभग 34% व सोडियम , मैग्नीशियम व एल्युमिनियम पाए जाते हैं। कैल्शियम-सोडियम की प्रचुरता के कारण ही यह ह्रदय की मांसपेशियों को पोषण व बल प्रदान करता है.जिससे ह्रदय के स्पंदन उचित हो जाते हैं और ह्रदय की धड़कन सामान्य रहती है. ह्रदय सशक्त व उत्तेजित रहता है। ...